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ग़ज़ल
ख़याल-ए-तर्क-ए-उल्फ़त हम-नशीनो आ ही जाता है
वफ़ूर-ए-बे-दिली में आदमी घबरा ही जाता है
कौसर नियाज़ी
ग़ज़ल
मिरी नज़र बस मिरी नज़र थी मगर तुम्हारी नज़र से पहले
वजूद से अपने बे-ख़बर था मगर तुम्हारी ख़बर से पहले
नज़ाक़तुल्लाह खां फ़ैज़ी खां फ़ैज़ी
ग़ज़ल
मिरे जुनूँ को है तूफ़ान-ए-रंग-ओ-बू की तलाश
फ़रोग़-ए-आतिश-ए-गुल को मिरे लहू की तलाश
एहसान नानपर्वी
ग़ज़ल
हर किसी को है ख़याल-ए-आशियाँ कुछ इन दिनों
काश होती सब को फ़िक्र-ए-गुल्सिताँ कुछ इन दिनों
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
ग़ज़ल
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए
जो मुश्किल अब है या रब फिर वही मुश्किल न बन जाए
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ख़ुदी हो इल्म से मोहकम तो ग़ैरत-ए-जिब्रील
अगर हो इश्क़ से मोहकम तो सूर-ए-इस्राफ़ील
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
एक वा'दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं
वर्ना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं